अपनी है अकेली पहचान
पूरी करती खुद अपने अरमान
नहीं ढूंढ़ती कोई सहारा
किसी और ने नहीं खुद ने नसीब सवारा

नारी सशक्तिकरण पर कविता | Poem on Women Empowerment in Hindi
घर यु स्वर्ग नहीं बना करते बिना किसी माली के ,
जर्रा जर्रा मुस्कुराता है कही कोई तो अपने गम भुलाता है |
तेरी आँखों में खुसिया रहें ,अपने खुशियों को दबाता है ,
कई रोज खामोशी रहती है उसकी आँखों में ,फिर भी तुम्हे हसाता है |
स्त्री को समझना सभी चाहते है
स्त्री होना कहाँ किसी पुरुष को आता है|
shayari on nari shakti in hindi
औरत कहाँ ज्यादा मांगती है ,नारी अपने ही अरमानो को टांगती है
इज्जत की दो जून की पुचकार मान लेती है वही उसका संसार
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जब पैदा होते तो प्यार करती,
बचपन में अच्छे से तैयार करती |
ब्याह हुआ तो पति का इंतजार करती ,
नारी शक्ति का चित्र है,पर कभी ना दम्भ भर्ती


बेटी-बहु कभी माँ बनती हु,
सबके सुख-दुख सहती हु ,
अपने सभी फर्ज़ निभाती,
इसलिए तो नारी कहलाती
