ताजमहल पर शायरी | Taj Mahal Shayari

Taj Mahal Shayari In Hindi 2 Line

हर धड़कन में एक मुमताज होती है,
हर दिल एक ताजमहल होता हैं.

जब मोहब्बत का शुरुर चलता है
सेहरा में फूल खिल जाता है
जब कोई दिवाना मचलता है
तब ताजमहल बन जाता है.

Taj Mahal Funny Shayari In Hindi 2 Line

ताजमहल की ईमारत मोहब्बत की मिसाल है
हम किस किस के लिए ताजमहल बनाये
हमे तो हर लड़की में मुम्ताज़ नज़र आती है

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Taj Mahal Shayari In Hindi 2 Line

ताज महल नहीं चाहिए,
मुझे तेरा प्यार ही चाहिए,
रुक्सत होने पर मेरे नाम का ताजमहल नहीं बनना,
सिर्फ अपने दिल में मेरी तस्वीर तुम सजाना.

ज़िंदा है शाहजहाँ की चाहत अब तक,
गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक,
जाके देखो ताज महल को ए दोस्तों,
पत्थर से टपकती है मोहब्बत अब तक..


संगमरमर की तू बात न कर ,
चाहता हु एहसास-ऐ-मोहब्बत लिख दूँ,
ताजमहल भी झूक जाएगा इबादत में
में जो एक पत्थर पे ऐसा कलमा लिख दूँ…

Taj Mahal Fb Status In Hindi

अगर इस जहाँ में मेहनती मजदूर का न नामों निशाँ होता,
फिर न होता हवामहल और न ही ताजमहल होता…

ताजमहल को देख कर बोला शाहजहाँ का पोता.
हमारा भी बैंक बैलेंस होता, अगर दादा आशिक ना होता!

Taj Mahal Shayari In Hindi

तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता,
तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है जूनून का,
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता…


Taj Mahal Funny Fb Status In Hindi

ताज महल क्या चीज़ है मैं तेरे लिए हीरों का महल बनवाऊंगा
मुमताज़ तो मर के दफ़न हुई थी मैं तुझे जिंदा ही दफ्नाऊंगा.


इश्क ने इंसान को क्या बना दिया,
किसी को कवि किसी को फिकरा बना दिया,
दो फूलों का बोझ न उठा सकती थी मुमताज
और शाहजहाँ ने उसपर ताजमहल बना दिया.

Taj Mahal Fb Status In Hindi

शहंशाह ने बनवा दी बेहतरीन ताज-महल,
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है…

अगर तुम न होते तो गजल कौन कहता,
तुझे कीचड़ में कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का
वरना पत्थर को ताजमहल कौन कहता।

जब प्यार किसी से होता हैं,
हर दर्द दवा बना जाता है,
क्या चीज इश्क होती हैं,
एक शख़्स खुदा बन जाता हैं

ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज़ के लिए बनवाया था। तब से ताजमहल प्रेम का प्रतीक बन गया। इसी ताजमहल पर शायरों ने भी अपनी नज़्में लिखी हैं। पेश हैं ताजमहल पर लिखीं बेहतरीन कविताएं

इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है
इस के साए में सदा प्यार के चर्चे होंगे
ख़त्म जो हो न सकेगी वो कहानी दी है
इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल

ताज वो शमा है उल्फ़त के सनम-ख़ाने की
जिस के परवानों में मुफ़्लिस भी हैं ज़रदार भी हैं
संग-ए-मरमर में समाए हुए ख़्वाबों की क़सम
मरहले प्यार के आसाँ भी हैं दुश्वार भी हैं
दिल को इक जोश इरादों को जवानी दी है
इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल – शकील बदायुनी