एक गाँव के चूहे की दोस्ती शहर के एक चूहे से हो गई। एक दिन ग्रामीण चूहे ने शहर के चूहे को खाने पर बुलाया। उसने उसे चना और मक्के के दाने परोसे जो वह खेतो से लाया था।
जब वे दोनों शहर आए तो शहरी चूहे ने अपने दोस्त के सामने शहद,पनीर और बिस्किट रखे। दोनों खा ही रहे थे वैसे ही एक आदमी ने दरवाजा खोला और दोनों चूहे डर के मारे अपने बिल में भागकर छुप गए।

बहुत इंतजार के बाद जब उन्होंने दोबारा खाना शुरू किया तो अचानक एक औरत ने प्रवेश किया और कुछ ढूँढना शुरू कर दिया। दोनों चूहे फिर से भागे और छिप गए। ग्रामीण चूहा परेशान होकर बोला,
“मैं अपने गाँव का सीधा-साधा खाना खाकर ही खुश हूँ। कम से कम वहाँ तुम्हारी तरह हर पल एक खतरा नहीं उठाना पड़ता। मैं जौ और मकई खाकर भी सन्तुष्ट हूँ।
लेकिन तुम इतना अच्छा खाना खाकर भी संतुष्ट नहीं हो क्योंकि इस खाने के लिए तुम हर रोज़ डर और खतरों का सामना करते हो।”
कहानी से सिख
शिक्षाः आजादी और भयहीनता खुशी की अनिवार्य शर्ते हैं।