दोस्तों प्रश्तुत है Motivational Poems in Hindi | प्रेरणादायक कविता संग्रह ,मोटिवेशनल कविताएँ. वर्तमान समय में सभी को प्रेरणा चाहिए। अत्यंत दबाब भरी जिंदगी में इंसान बिना सोचे समझे लिए गए निर्णयो के कारण अक्सर लोग निराश हो जाते है. फिर वे कुछ ऐसा कर बैठते है कि बयां करना मुश्किल हो जाता है हर उस व्यक्ति का हाथ थामना चाहिए जो निराशा से ग्रस्त है।
प्रेरणादायक कविता संग्रह
इसीलिए हम कविताओं के माध्यम से सभी को प्रेरणा देने का प्रयास किया है. उम्मीद है कि आपको यह सभी मोटिवेशनल कविताएं inspirational poem in hindi, motivational poems in hindi for students, Motivational Poems in Hindi ,motivational poem in hindi,motivational poems in hindi,motivational poem,motivational poem in hindi, motivational poems in hindi,motivational poem,famous hindi poems,hindi poems for class 8,motivational poems in hindi,self motivation poem hindi प्रेरणादायक कविता संग्रह पसंद आएंगी.
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Harivansh Rai Bacchan motivational Poem कविता – अग्निपथ
लेखक – हरिवंश राय बच्चन
वृक्ष हों भले खड़े
हों घने, हों बड़े
एक पत्र छाँह भी
मांग मत ! मांग मत ! मांग मत !
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !
तू न थकेगा कभी
तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी
कर शपथ ! कर शपथ ! कर शपथ !
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !
यह महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद-रक्त से
लथ-पथ ! लथ-पथ ! लथ-पथ !
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !
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Sarfaroshi ki Tamanna Bismil |best motivational poem in hindi
कविता – सरफ़रोशी की तमन्ना लेखक – बिस्मिल अज़ीमाबादी
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है l
एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।
रहबरे-राहे-मुहब्बत ! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है।
अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़, एक मिट जाने की हसरत अब दिले-‘बिस्मिल’ में है ।
ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है।
खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर।
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
हाथ जिनमें हो जुनूँ, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न, जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम।
जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार, क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है l
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज।
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है ! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ।
जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ, क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
self motivation poem hindi | motivational poems in hindi for students



self motivation poem hindi APJ Abdul Kalaam New poem kavita in hindi
महानता कहाँ पैदा होती उसे तो गढ़ना पड़ता है
सिकंदर वही रचे जाते है जहाँ लड़ना पड़ता है
कई लोग खपे है अपने अब्दुल को हमारा कलाम बनाने में
कई योग जुटे हैं सपने प्रतिकूल को प्यारा अंजाम दिलाने में
धन्य हुई मातरम की धरती उनके अब्बू के नाव चलाने में
धनि हुई रामसेश्वरम की वो कश्ती हिन्दु के आने जाने में
बचपन में अखबार बाटके ऐसे हाथ बटाने में
परिश्रम ही अधिकार जानके बड़ा हुआ अनजाने में
कलाम का खुद में इंसान ढूँढना उनका सव्माभिमान ढूँढना
बचपन में उस लड़के का अखबार बेचना
नहीं थी उसमे कोई अद्भुत क्षमता पर मेहनत का कोई तोड़ नहीं
कलाम जो भी थे जैसे भी थे उनका कोई गठजोड़ नहीं
मगन रहा वो DRDO के गलियारों में राकेट बनाने में
नहीं मतलब था उसको कोई सरकार आने जाने में
उसने तो इंदिरा को भी बताया था उस जमाने में
अटल को भी यह समझ आया पोखरण में बम उड़ाने में
माहिर था वो मिसाइलों को उड़ाने में
ना पला बढ़ा था कही किसी राज घराने में
बना भारत का राष्ट्रपति नोटों के इस जमाने में
जीता रहा भारत के लिए नहीं था वो किसी को में
short inspirational poem in hindi



poem on truth of life in hindi
New Hindi Poem | latest motivational poem in hindi
New Naukari kavita
बचपन निकला जन गण मन में
था जीवन ढीला बिना टेंशन में
इंटर से जो किस्सा चल निकला ,
लगी आग उस प्यासे मन में
कितने नंबर लाये हो ,कौन सा कॉलेज पाए हो
किस कोर्स से आगे जाओगे ,कितना पैकेज पाए हो
सच कहता हु सनक जाता हुँ,कभी कभी भड़क जाता हुँ
फिर समझ आया ये मायावी खेल,तुम अकेले नहीं धूम मचाये हो
जीवन की तन्हाई में या यौवन की अंगड़ाई में
अटकी हैं जान सबकी नौकरी वाली खायी में
इस माई के कई भक्तगण है लेकिन सीटे काफी कम है
इस सच्चाई का क्या ज्ञान करो,लगा दो हिम्मत पढाई में
मिडिल क्लास की आप आस ,ना मिले तो रहता मन उदास
बहुत लोग कर रहे प्रयास ,पाते केवल कुछ ही ख़ास
इस बार गर नौकरी पाउँगा ,तो जाके गंगा नहाऊंगा
सच बोलता हु दो किलो,घी वाले लड्डू मईया तुझे चढ़ाऊंगा
सौगंध माई की खता हु ना खाऊंगा ना खिलाऊंगा
मंदिर का पता नहीं पर यह देश थोड़ा बनाऊंगा
अभी शायद दुर्योधन हु पर श्रावण कुमार हो जाऊंगा
हे माई तुम पुकार सुनो ,भक्तो में अबकी बार चुनो
New inspirational poem in hindi for students



short motivational poems in hindi about success| Lal Dwivedi
कविता – नर हो, न निराश करो मन को, लेखक – मैथिलीशरण गुप्त
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को
संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को
निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तज़ो निज साधन को
नर हो, न निराश करो मन को
प्रभु ने तुमको दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्त करो उनको न अहो
फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को
किस गौरव के तुम योग्य नहीं
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जन हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को
नर हो, न निराश करो मन को
करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
self motivation poem hindi
Mai Tufaano me chalne ka Aadi hu Gopaldas Niraj |
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं [ लेखक – गोपालदास नीरज
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढाते..
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने में भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगे हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..
सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूं..
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझपर कोई एहसान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..
गति की मशाल आंधी में ही हंसती है..
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..
पग में गति आती है, छाले छिलने से..
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी..
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..
तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
motivational poems in hindi about success for students
कविता – वीर, लेखक – रामधारी सिंह “दिनकर”
सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
गुन बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भितर,
मेंहदी में जैसी लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।
Dushyant Kumar | student motivational poem in hindi
हो गई है पीर पर्वत-दुष्यंत कुमार
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
short motivational poem in hindi



Shohan lal Dwivedi | upsc motivational poem in hindi
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहनलाल द्विवेदी
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
poem motivational in hindi



motivational poem in hindi pdf
Shivmangal Singh Suman Vardaan Mangunga Nahi
वरदान माँगूँगा नहीं —शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
short motivational poems in hindi about success



Motivation Hindi kavita Gopaldas Neeraj
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते..
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने मे भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..
सौ बार म्रत्यु के गले चूम आया हूं..
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझपर कोई एह्सान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..
गती की मशाल आंधी मैं ही हंसती है..
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..
पग में गती आती है, छाले छिलने से..
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतीवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगती भी..
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..
तुम मेरा मन-मानस पाशाण करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
New Hindi Poem Naukari || Late Harivansh Rai Bachchan
धरा हिला, गगन गुंजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा-भुजा, फड़क-फड़क
रक्त में धड़क-धड़क
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक-धधक
हिरन सी सजग-सजग
सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर
रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू
कवि – स्व. हरिवंश राय बच्चन
अभी तो सूरज उगा है -Narendra Modi motivational Poem in hindi
आसमान में सिर उठाकर
घने बादलों को चीरकर
रोशनी का संकल्प लें
अभी तो सूरज उगा है।
दृढ़ निश्चय के साथ चलकर
हर मुश्किल को पार कर
घोर अंधेरे को मिटाने
अभी तो सूरज उगा है।
विश्वास की लौ जलाकर
विकास का दीपक लेकर
सपनों को साकार करने
अभी तो सूरज उगा है।
न अपना न पराया
न तेरा न मेरा
सबका तेज बनकर
अभी तो सूरज उगा है।
आग को समेटते
प्रकाश को बिखेरता
चलता और चलाता
अभी तो सूरज उगा है।
विकृति ने प्रकृति को दबोचा
अपनों से ध्वस्त होती आज है
कल बचाने और बनाने
अभी तो सूरज उगा है।