रमेश आदतन एक जुआरी था। उसकी पत्नी लक्ष्मी इस आदत से बड़ी परेशान थी। एक दिन रमेश जुए में बहुत सारा पैसा हार गया। उसका जुए का खिलाडी भोनू ने उससे पैसा माँगा। लेकिन रमेश के पास उसे देने के लिए पैसे नहीं थे।
तब भोनू बोला, “कल मैं तुम्हारे घर आऊँगा और जिस वस्तु पर सबसे पहले मेरा हाथ पड़ेगा, वह मेरी हो जाएगी।” भोनू अपने घर गया और सारी बात अपनी पत्नी लक्ष्मी को कह सुनाई।
लक्ष्मी बोली. “मैं तुम्हारी मदद करूंगी लेकिन तुम्हे जुआ खेलना बंद करना पड़ेगा। मुझसे इस बात का वादा करो।” रमेश ने जुआ छोड़ने का वादा कर लिया। लक्ष्मी ने सारा कीमती सामान एक संदूक में भरकर संदूक को ऊँचाई पर रख दिया।
अगले दिन भोनू उनके घर आया। वह जानता था कि सारा सामान एक सदूक में रखा है। वह उस तक पहुँचने के लिए वहाँ लगी सीढ़ी से चढ़ने लगा। उसने जैसे ही सीढ़ी को छुआ,

लक्ष्मी बोली. “रुको! तुम्हारे कहे अनुसार ये सीढ़ी तुम्हारी हुई, क्योंकि तुमने सबसे पहले इसे ही छुआ है।” बेचारा भोनू दुखी मन से वहाँ से चला गया।
moral of the story in hindi
कहानी से सिख : जुआ खेलना बुरी बात है विपदा में समझदार लोगो की बात माननी चाहिए