Chanakya Niti in hindi|चाणक्य नीति : चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रन्थ है। साहित्य में नीति ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं
चाणक्य कहा का समयकाल ईसा से 325 वर्ष पहले का माना गया है उस समय के द्वारा दी गई इसकी नीतियां आज भी लोग पढ़ते, समझते और आम जीवन में उपयोग लाते हैं
chanakya ki niti in hindi

जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।

आदमी अपने जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान होता है।


ईश्वर मूर्तियों में नहीं है। आपकी भावनाएँ ही आपका ईश्वर है। आत्मा आपका मंदिर है


पुस्तकें एक मुर्ख आदमी के लिए वैसे ही हैं, जैसे एक अंधे के लिए आइना।

आग सिर में स्थापित करने पर भी जलाती है। अर्थात दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।

गरीब धन की इच्छा करता है, पशु बोलने योग्य होने की, आदमी स्वर्ग की इच्छा करते हैं और धार्मिक लोग मोक्ष की


जो गुजर गया उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतिंत होना चाहिए। समझदार लोग केवल वर्तमान में ही जीते हैं।

संकट में बुद्धि भी काम नहीं आती है।

जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।
chanakya niti for love in hindi

किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब ना करें
अगर शत्रु आपसे अधिक बलशाली है तो उसे उसी की तरह व्यवहार करके पराजित किया जा सकता है,
अगर शत्रु आपके समान बलशाली है तो उसे विनय पूर्वक पराजित किया जा सकता है,
Chanakya Niti Dushman
शत्रु से घिरे होने पर भागना नहीं चाहिए । इससे आपकी शक्ति क्षीण हो सकती है।
chanakya’s niti darpan |चाणक्य नीति दुश्मन
अपने शत्रु से एक खिलाडी की तरह निपटना चाहिए|
आप कभी भी अपने दुष्मन को घायल करके न छोड़े, क्योकि एक घायल शत्रु को आपसे बदला लेने की इच्छा और अधिक जागरूक हो जाती है.| Chanakya Niti Dushman |
कभी भी अपने शत्रु के अच्छे व्यहवार और उसकी सच्ची मित्रता पर भरोसा न करे| Chanakya neeti dushman |
आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है । बोली से देश का पता लगता है । आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है
Chanakya Niti Love| चाणक्य नीति लव

जिस से प्रेम होता है उसी से भय भी होता है । प्रेम ही सारे दुःखो का मूल है, अतः प्रेम – बन्धनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए ।
वही पत्नी है, जो पवित्र और कुशल हो । वही पत्नी है, जो पतिव्रता हो । वही पत्नी है, जिसे पति से प्रीति हो । वही पत्नी है, जो पति से सत्य बोले
chanakya ki niti
किसी सभा में कब क्या बोलना चाहिए, किससे प्रेम करना चाहिए तथा कहां पर कितना क्रोध करना चाहिए जो इन सब बातों को जानता है, उसे ज्ञानी व्यक्ति कहा जाता है ।
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