Bhagavad Gita quotes in hindi
प्रस्तुत है Bhagavad Gita quotes in hindi | भगवत गीता के अनमोल वचन जो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को रण क्षेत्र में दिया था।
महाभारत के युद्ध के समय कृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश (geethopdesam in hindi ) दिया जिससे कि अर्जुन रण क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें. कहा जाता है कि भगवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो कृष्ण के मुख से निकला है. यह महा ग्रंथ कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए महान उपदेशों का संग्रह bhagavad gita in hindi pdf है ।
इसमें कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और अन्य योग का एक अद्भुत विवरण है .यदि इसको सरलता से कहा जाए तो जीवन जीने की की कला को बताता है.।

मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ; ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक. लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ ।
तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है, और फिर भी ज्ञान की बात करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥
Bhagavad Gita Quotes In Hindi With Images



yadyadācarati śrēṣṭhastattadēvētarō janaḥ.
sa yatpramāṇaṅ kurutē lōkastadanuvartatē৷৷3.21৷৷
भावार्थ : श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है ।
जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है, और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।
मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ ।
वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है
bhagavad gita quotes karma in hindi



जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन तो केवल इस पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है ।
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता है ।
फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।
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किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः ।
तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥
kiṅ karma kimakarmēti kavayō.pyatra mōhitāḥ.
tattē karma pravakṣyāmi yajjñātvā mōkṣyasē.śubhāt৷৷4.16৷৷
भावार्थ : कर्म क्या है? और अकर्म क्या है? इस प्रकार इसका निर्णय करने में बुद्धिमान पुरुष भी मोहित हो जाते हैं। इसलिए वह कर्मतत्व मैं तुझे भलीभाँति समझाकर कहूँगा, जिसे जानकर तू अशुभ से अर्थात कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा
यस्य सर्वे समारम्भाः कामसंकल्पवर्जिताः ।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पंडितं बुधाः ॥
Bhagavad gita quotes on love in hindi
भावार्थ : जिसके सम्पूर्ण शास्त्रसम्मत कर्म बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके समस्त कर्म ज्ञानरूप अग्नि द्वारा भस्म हो गए हैं, उस महापुरुष को ज्ञानीजन भी पंडित कहते हैं॥19॥
फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।



आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है ।
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ।
तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति ॥
na hi jñānēna sadṛśaṅ pavitramiha vidyatē.
tatsvayaṅ yōgasaṅsiddhaḥ kālēnātmani vindati৷৷4.38৷৷
भावार्थ : इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निःसंदेह कुछ भी नहीं है। उस ज्ञान को कितने ही काल से कर्मयोग द्वारा शुद्धान्तःकरण हुआ मनुष्य अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है॥38॥



सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ. मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा. शोक मत करो.
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है स्मृतिभ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धिनष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश होजाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।
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श्रीमद्भागवत गीता”
नरक के तीन द्वार हैं – वासना, क्रोध और लालच ।
प्रजहाति यदा कामान् सर्वान्पार्थ मनोगतान् ।
आत्मयेवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते ॥2.55॥
भावार्थ : श्री भगवान् बोले- हे अर्जुन! जिस काल में यह पुरुष मन में स्थित सम्पूर्ण कामनाओं को भलीभाँति त्याग देता है और आत्मा से आत्मा में ही संतुष्ट रहता है, उस काल में वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है॥55॥
Gita Sanskrit Shloka with meaning in hindi
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः ।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ॥2.56॥
भावार्थ : दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्वेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में सर्वथा निःस्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है॥56॥



यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाशुभम् ।
नाभिनंदति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥2.57॥
भावार्थ : जो पुरुष सर्वत्र स्नेहरहित हुआ उस-उस शुभ या अशुभ वस्तु को प्राप्त होकर न प्रसन्न होता है और न द्वेष करता है, उसकी बुद्धि स्थिर है॥57॥
यदा संहरते चायं कूर्मोऽङ्गनीव सर्वशः ।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥2.58॥
भावार्थ : और कछुवा सब ओर से अपने अंगों को जैसे समेट लेता है, वैसे ही जब यह पुरुष इन्द्रियों के विषयों से इन्द्रियों को सब प्रकार से हटा लेता है, तब उसकी बुद्धि स्थिर है (ऐसा समझना चाहिए)॥58॥
आत्मा को शास्त्र नहीं काट सकते , अग्नि नहीं जला सकती , जल नहीं गाला सकता , वायु नहीं सूखा सकती.
Dharmik status | भगवत गीता के अनमोल वचन



मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा है तुम सबके हो ।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो.
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
yadā yadā hi dharmasya glānirbhavati bhārata.
abhyutthānamadharmasya tadā৷৷tmānaṅ sṛjāmyaham৷৷4.7৷৷
भावार्थ : हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥7॥
krishna quotes on karma in hindi
उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता.
क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है
Geeta quotes in hindi
केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है
जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वतः ।
त्यक्तवा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ॥
janma karma ca mē divyamēvaṅ yō vētti tattvataḥ.
tyaktvā dēhaṅ punarjanma naiti māmēti sō.rjuna ৷৷ 4.9৷৷
Meaning : हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात निर्मल और अलौकिक हैं- इस प्रकार जो मनुष्य तत्व से (सर्वशक्तिमान, सच्चिदानन्दन परमात्मा अज, अविनाशी और सर्वभूतों के परम गति तथा परम आश्रय हैं, वे केवल धर्म को स्थापन करने और संसार का उद्धार करने के लिए ही अपनी योगमाया से सगुणरूप होकर प्रकट होते हैं। इसलिए परमेश्वर के समान सुहृद्, प्रेमी और पतितपावन दूसरा कोई नहीं है, ऐसा समझकर जो पुरुष परमेश्वर का अनन्य प्रेम से निरन्तर चिन्तन करता हुआ आसक्तिरहित संसार में बर्तता है, वही उनको तत्व से जानता है।) जान लेता है, वह शरीर को त्याग कर फिर जन्म को प्राप्त नहीं होता, किन्तु मुझे ही प्राप्त होता है॥9॥
इंसान अपने विश्वास से निर्मित होता है. जिस प्रकार वह विश्वास करता है उसी प्रकार वह बन जाता है ।



Bhagwat geeta quotes in hindi
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है
यदृच्छालाभसंतुष्टो द्वंद्वातीतो विमत्सरः ।
समः सिद्धावसिद्धौ च कृत्वापि न निबध्यते ॥
yadṛcchālābhasantuṣṭō dvandvātītō vimatsaraḥ.
samaḥ siddhāvasiddhau ca kṛtvāpi na nibadhyatē৷৷4.22৷৷
भावार्थ : जो बिना इच्छा के अपने-आप प्राप्त हुए पदार्थ में सदा संतुष्ट रहता है, जिसमें ईर्ष्या का सर्वथा अभाव हो गया हो, जो हर्ष-शोक आदि द्वंद्वों से सर्वथा अतीत हो गया है- ऐसा सिद्धि और असिद्धि में सम रहने वाला कर्मयोगी कर्म करता हुआ भी उनसे नहीं बँधता॥22॥
मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है
ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा वाले अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए. |
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से मिलकर बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है – फिर तुम क्या हो?
सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ. मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा. शोक मत करो.
krishna quotes on karma in hindi
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो
हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है



भगवत गीता के अनमोल वचन
हे अर्जुन ! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं, मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं।
हे अर्जुन !, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता.
हे अर्जुन, मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ।
केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है.
आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशाषित रहो. उठो
motivational quotes from geeta in hindi
हे अर्जुन, तुम ज्ञानियों की तरह बात करते हो, लेकिन जिनके लिए शोक नहीं करना चाहिए, उनके लिए शोक करते हो। मृत या जीवित, ज्ञानी किसी के लिए शोक नहीं करते
जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है
आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है
Gita Updesh Quotes
जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ।
हे अर्जुन!, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता ।
स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है।



हे अर्जुन! जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे. इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो. अपने कार्य करते रहो
Bhagwat geeta quotes hindi
केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है ।
मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता.
व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।



ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो ।
Bhagavad gita quotes in hindi meaning
वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।
वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं।
केवल कर्म करना ही मनुष्य के वश में है, कर्मफल नहीं। इसलिए तुम कर्मफल की आशक्ति में ना फंसो तथा अपने कर्म का त्याग भी ना करो
जब तुम्हारी बुद्धि मोहरूपी दलदल को पार कर जाएगी, उस समय तुम शास्त्र से सुने गए और सुनने योग्य वस्तुओं से भी वैराग्य प्राप्त करोगे।
Krishna Thoughts on life in hindi



जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है उन्हें चिंता कभी नहीं सताती ।
दुःख से जिसका मन परेशान नहीं होता, सुख की जिसको आकांक्षा नहीं होती तथा जिसके मन में राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि आत्मज्ञानी कहलाता है।
Gita ke Anmol Vachan in hindi
हे कुंतीनंदन! संयम का प्रयत्न करते हुए ज्ञानी मनुष्य के मन को भी चंचल इन्द्रियां बलपूर्वक हर लेती हैं। जिसकी इन्द्रियां वश में होती हैं, उसकी बुद्धि स्थिर होती है।



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सज्जन पुरुष अच्छे आचरण वाले सज्जन पुरुषो में , नीच पुरुष नीच लोगो में ही रहना चाहते है । स्वाभाव से पैदा हुई जिसकी जैसी प्रकृति है उस प्रकृति को कोई नहीं छोड़ता ।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।
किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः ।
तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥
kiṅ karma kimakarmēti kavayō.pyatra mōhitāḥ.
tattē karma pravakṣyāmi yajjñātvā mōkṣyasē.śubhāt
भावार्थ : कर्म क्या है? और अकर्म क्या है? इस प्रकार इसका निर्णय करने में बुद्धिमान पुरुष भी मोहित हो जाते हैं। इसलिए वह कर्मतत्व मैं तुझे भलीभाँति समझाकर कहूँगा, जिसे जानकर तू अशुभ से अर्थात कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा
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Gita Jayanti 2020
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता (Srimad Bhagavad Gita) का उपदेश दिया था. इस दिन को गीता जयंती (Gita Jayanti) के नाम से जाना जाता है.
माना जाता है कि भगवद् गीता का जन्म श्री कृष्ण (Sri Krishna) के मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था. कलयुग के प्रारंभ होने के 30 साल पहले कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था
वह श्रीमद्भगवद् गीता के नाम से प्रसिद्ध है.
श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में से पहले 6 अध्यायों में कर्मयोग है .अगले 6 अध्यायों में ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्यायों में भक्तियोग का उपदेश है.
गीता जयंती के दिन ही मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) भी पड़ती है. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के मृतक पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. कहते हैं कि जो भी व्यक्ति मोक्ष पाने की इच्छा रखता है उसे इस एकादशी (Ekadashi) पर व्रत रखना चाहिए.
गीता जयंती कब होती है ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह हर साल नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है. इस बार गीता जयंती 25 दिसंबर को है.
Bhagvad Gita ka janm | श्रीमद्भगवद् गीता का जन्म
गीता जयंती धूमधाम के साथ मनाई जाती है. गीता जयंती हमें याद उस ज्ञान की याद दिलाती है जो श्रीकृष्ण ने मोह में फंसे हुए अर्जुन को दिया था. गीता के उपदेश केवल उपदेश नहीं बल्कि यह हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं. मान्यता के अनुसार, कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन अपने विपक्ष में परिवार के लोगों और सगे-संबंधियों को देखकर बुरी तरह डर गए.
साहस और विश्वास से भरे अर्जुन महायुद्ध का आरम्भ होने से पहले ही युद्ध स्थगित कर रथ पर बैठ जाते हैं. वो श्री कृष्ण से कहते हैं, ‘मैं युद्ध नहीं करूंगा. मैं पूज्य गुरुजनों तथा संबंधियों को मार कर राज्य का सुख नहीं चाहता, भिक्षान्न खाकर जीवन धारण करना श्रेयस्कर मानता हूं.’
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उनके कर्तव्य और कर्म के बारें में बताया. उन्होंने आत्मा-परमात्मा से लेकर धर्म-कर्म से जुड़ी अर्जुन की हर शंका का निदान किया.
भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ यह संवाद ही श्रीमद्भगवद गीता है. इस उपदेश के दौरान ही भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को अपना विराट रूप दिखलाकर जीवन की वास्तविकता से उनका साक्षात्कार करवाते हैं.
श्रीकृष्ण के उपदेशों के बाद अर्जुन का मोह भंग हो गया और उन्होंने गांडीव धारण कर शत्रुओं का नाश करने के बाद फिर से धर्म की स्थापना की.
जिस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी थी. इस एकदाशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती मनाई जाती है.