धोखा हमेशा विश्वास के साथ चलता रहता है, जहां विश्वास होगा, तभी धोखा भी मिलेगा। अविश्वास करने वाले धोखा कम खाते हैं और खाते भी हैं तो तक़लीफ कम होती है। उसी तरह प्रेम में हमेशा तैयार होना चाहिए कि ज़रूरी नहीं कि इश्क़ में हमेशा वफ़ा ही मिले, बेवफ़ाई भी मोहब्बत का एक परिणाम है। शायर इस बात को कई तरह से दुनिया को समझाते हैं।शेरो-शायरी की श्रृंखला में पाठकों के लिए आज पेश है- बेवफाई शायरी।
दिल से धड़कन की कश्ती है,
ख़्वाबों से यादों की बस्ती है,
मोहब्बत से चाहत का सौदा है,
वफ़ा से तो बेवफाई सस्ती है।

dil se dhadkan ki kashti hai
khaabo se yado ki basti hai
mohabbat se chahat ka suada hai
wafa se to bewafai sasti hai
इंतजार शायरी क्या है ?
ढूंढ़ ले आते अपने प्यार को हम,
बाजार में भीड़ इतनी भी न थी,
पर रोक दी तलाश हमने,
बेवफाई ने सौदा किया था हमसे



dhundh le aate apne pyaar ko hum
bajaar me bhid itni naa thi
par rok di talaash hamne
bewafai ne sauda kiya tha hamse
अपने तजुर्बे ने आज़माइश की है
किसी ने आज हमसे बेवफाई की है
aaj tajurbe ne aajmaish ki thi
kisi ne aaj hamse bewafai ki hai
सैड शायरी



लोग तो बदलेंगे ही वो फिदरत है
दर्द तो हमें तेरी बेवफाई से है
log to badalnege hi wo fidrat hai
dard to hame teri bewafai se hai
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना
बशीर बद्र
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
महताब आलम
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की
गुलज़ार
रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई
जावेद अख़्तर



अब तो कुछ भी याद नहीं है
हम ने तुम को चाहा होगा
मज़हर इमाम
इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
अहमद मुश्ताक़
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशां क्या क्या
क्या बताऊं कि मेरे दिल में है अरमां क्या क्या
अख़्तर शीरानी
आज उस ने हंस के यूं पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
एहसान दानिश



जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
जौन एलिया
कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए
शाद आरफ़ी
आख़िरी बार आह कर ली है
मैं ने ख़ुद से निबाह कर ली है – जौन एलिया
दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं
जलील ’आली’



एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
जोश मलीहाबादी
अजब चराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं
मैं थक गया हूं हवा से कहो बुझाए मुझे
बशीर बद्र